बारिश बहुत है, इतनी तेज़ कि सड़क पार का घर कुछ धुँधला ही दिख रहा है, मेरे जूतों में पानी भरा है, और चश्मे पर पानी की बूँदें हैं, एक डफ़ल बैग को मैंने पुरानी बेंच पर रखा है और लैपटॉप वाला बैग कंधे पर है, सुबह लेट उठा तो हॉस्टल में नाश्ता नहीं मिला, बारिश इतनी थी कि हॉस्टल से हाईवे तक आने में पूरा भीग गया, तो आने में देरी हुई, तो बस भी निकल गई, और उस बस के साथ-साथ 400 रुपये भी...
So beautifully written.